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“पहचान तो आज भी मेरी श्रीमती शीला यादव और श्री धर्मेंद्र यादव के पुत्र के रूप में ही है। उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के एक छोटे से गाँव दरियावगंज में 16 फरवरी 1997 को मेरा जन्म हुआ। प्रारम्भिक शिक्षा से लेकर ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई गाँव में ही पूरी हुई। लेखनी के प्रति रुझान बचपन से नहीं था पर हाँ दादाजी (श्री लल्लाराम जी यादव) बचपन से ही पंचतंत्र की कहानियाँ ज़रूर सुनाया करते थे। शायद वहीं से कहानियोँ के प्रति दिलचस्पी बढ़ती चली गयी।

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Sarvesh Yadav

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“पहचान तो आज भी मेरी श्रीमती शीला यादव और श्री धर्मेंद्र यादव के पुत्र के रूप में ही है। उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के एक छोटे से गाँव दरियावगंज में 16 फरवरी 1997 को मेरा जन्म हुआ। प्रारम्भिक शिक्षा से लेकर ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई गाँव में ही पूरी हुई। लेखनी के प्रति रुझान बचपन से नहीं था पर हाँ दादाजी (श्री लल्लाराम जी यादव) बचपन से ही पंचतंत्र की कहानियाँ ज़रूर सुनाया करते थे। शायद वहीं से कहानियोँ के प्रति दिलचस्पी बढ़ती चली गयी।

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