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यह संग्रह भोगे हुए यथार्थ, जिये हुए लम्हों और जीवन से मिले अनुभवों का दस्तावेज़ भर है; उम्मीद है कि इसे आपका भरपूर प्यार मिलेगा, क्योंकि दिल की बातें बिना किसी लाग-लपेट के भी सीधे दिल तक पहुँचती हैं। भले ही अँधेरा कितना भी घना क्यों न हो, पर प्रकाश पाने के लिए हमें दिया तो जलाना ही पड़ेगा। यही बात उन सब तक पहुँचाना चाहती हूँ, जिन्होंने ज़िंदगी के थपेड़ों से हारकर ख़ुद को दिन-रात घुटने के लिए छोड़ दिया है।.

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Nivedita Singh

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यह संग्रह भोगे हुए यथार्थ, जिये हुए लम्हों और जीवन से मिले अनुभवों का दस्तावेज़ भर है; उम्मीद है कि इसे आपका भरपूर प्यार मिलेगा, क्योंकि दिल की बातें बिना किसी लाग-लपेट के भी सीधे दिल तक पहुँचती हैं। भले ही अँधेरा कितना भी घना क्यों न हो, पर प्रकाश पाने के लिए हमें दिया तो जलाना ही पड़ेगा। यही बात उन सब तक पहुँचाना चाहती हूँ, जिन्होंने ज़िंदगी के थपेड़ों से हारकर ख़ुद को दिन-रात घुटने के लिए छोड़ दिया है।.

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