सोलह जनवरी उन्नीस सौ सड़सठ को काशी में जन्मे नीरज त्रिपाठी के पिताजी रेलवे की नौकरी में थे व माताजी गृहणी थी। रेलवे की नौकरी के दरम्यान शिक्षा कई शहरों में हुई। इसी क्रम में बाल्यावस्था कुछ वर्षों के लिए गृह जनपद देवरिया जिले के ओबरी तिवारी नामक ग्राम में बीता। कानपुर विश्वविद्यालय से राजनीतिशास्त्र से परास्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद स्वरोजगार में लग गये। स्वाध्याय और हिन्दी साहित्य के प्रति आकर्षण निरन्तर बना रहा। प्रारम्भ में हिन्दी कविता लिखने का शौक था, परन्तु बाद में गद्य लेखन की ओर झुकाव हो गया। वर्तमान में स्वरोजगार और कृषि के साथा-साथ अनवरत लेखन में वयस्त है।
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सोलह जनवरी उन्नीस सौ सड़सठ को काशी में जन्मे नीरज त्रिपाठी के पिताजी रेलवे की नौकरी में थे व माताजी गृहणी थी। रेलवे की नौकरी के दरम्यान शिक्षा कई शहरों में हुई। इसी क्रम में बाल्यावस्था कुछ वर्षों के लिए गृह जनपद देवरिया जिले के ओबरी तिवारी नामक ग्राम में बीता। कानपुर विश्वविद्यालय से राजनीतिशास्त्र से परास्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद स्वरोजगार में लग गये। स्वाध्याय और हिन्दी साहित्य के प्रति आकर्षण निरन्तर बना रहा। प्रारम्भ में हिन्दी कविता लिखने का शौक था, परन्तु बाद में गद्य लेखन की ओर झुकाव हो गया। वर्तमान में स्वरोजगार और कृषि के साथा-साथ अनवरत लेखन में वयस्त है।