Redgrab Shop

“वैसे तो मृदुला श्रीवास्तव ने राजनीति विज्ञान में एम ० ए ० की डिग्री और गाँधीयन थौट में एम० फिल०
की उपाधि हासिल की है।
लेकिन इनका रुझान हमेशा से साहित्य की तरफ रहा है। समाज को लेकर संवेदनशीलता और जागरूकता इनके स्वभाव में व्याप्त है। यही वजह है कि समाज में रचे बसे तरह तरह के चरित्र को समझने का हुनर
रखती हैं। समाज की वेदना को समझना और समझ कर अपनी लेखनी के द्वारा समाज की चेतना को जागृत
करने के लिए प्रयासरत रहती हैं।
भारत के विभिन्न सांस्कृतिक और भाषाई राज्यों में बहुतायत समय गुजार कर वहाँ की सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक माहौल को समझने का अवसर प्राप्त किया है।
इन्होंने जीवन की आपाधापी में उलझ कर कभी भी अपने लिखने पढ़ने के हौसले को मृत नहीं होने दिया। पिछले कई सालों से लेखन क्रिया के पीछे लगी हुई हैं। पत्रिकाओं में लेख लिखते रहीं हैं।
‘लघु कहानियों के संग्रह’ के रूप में ‘खनक’ शीर्षक से यह इनकी
दूसरी किताब है, जो कि इनके अनुभवों की एक प्रतिलिपि है। इस किताब में इन्होंने अपनी संवेदनाओं को ,
अपनी लेखनी में पीरों कर काल्पनिक पात्रों के द्वारा किताब का रूप देने का प्रयास किया है।”

Filters

 

Language
Publishers
Series
  • There are no terms yet
Tags

Mridula Srivastava

Sort by :

Showing the single result

“वैसे तो मृदुला श्रीवास्तव ने राजनीति विज्ञान में एम ० ए ० की डिग्री और गाँधीयन थौट में एम० फिल०
की उपाधि हासिल की है।
लेकिन इनका रुझान हमेशा से साहित्य की तरफ रहा है। समाज को लेकर संवेदनशीलता और जागरूकता इनके स्वभाव में व्याप्त है। यही वजह है कि समाज में रचे बसे तरह तरह के चरित्र को समझने का हुनर
रखती हैं। समाज की वेदना को समझना और समझ कर अपनी लेखनी के द्वारा समाज की चेतना को जागृत
करने के लिए प्रयासरत रहती हैं।
भारत के विभिन्न सांस्कृतिक और भाषाई राज्यों में बहुतायत समय गुजार कर वहाँ की सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक माहौल को समझने का अवसर प्राप्त किया है।
इन्होंने जीवन की आपाधापी में उलझ कर कभी भी अपने लिखने पढ़ने के हौसले को मृत नहीं होने दिया। पिछले कई सालों से लेखन क्रिया के पीछे लगी हुई हैं। पत्रिकाओं में लेख लिखते रहीं हैं।
‘लघु कहानियों के संग्रह’ के रूप में ‘खनक’ शीर्षक से यह इनकी
दूसरी किताब है, जो कि इनके अनुभवों की एक प्रतिलिपि है। इस किताब में इन्होंने अपनी संवेदनाओं को ,
अपनी लेखनी में पीरों कर काल्पनिक पात्रों के द्वारा किताब का रूप देने का प्रयास किया है।”

X