“कवि परिचय
नाम : मनोज कुमार मिश्रा (मनोज प्रवीण)
जन्म तिथि : 11.01.1979
जन्म स्थान : मिश्रपुर, मेजा, प्रयागराज
माता-पिता : श्रीमती सीता देवी एंव स्व. सुधीर कुमार मिश्रा
शिक्षा : एम.ए., बी.एड. प्रयागराज एंव सतना (म.प्र.)
जीवन में विशेष स्थान : माता-पिता के अतिरिक्त श्री अमरनाथ दुबे (दादा श्री) एवं बड़ी माँ, श्री प्रेम
शंकर मिश्रा (चाचा श्री ) श्री अजय शंकर पाण्डेय(मौसा जी) श्रीमती मनीषा
मिश्रा (धर्मपत्नी), श्री सतीश चन्द्र दुबे एडवोकेट(चाचा श्री)
आदर्श : श्री सुशील कुमार मिश्रा (बड़े भ्राता श्री) एंव श्रीमती सुधा मिश्रा(भाभी माँ)
काव्य संग्रह हेतु प्रेरणा : डॉ. हरिशंकर उपाध्याय सेवानि. एसो.प्रो., डॉ. मंजू सारस्वत पूर्व प्राचार्या,
डॉ. जय प्रकाश पटेल जी श्री प्रवीण पाण्डेय (गायक) एवं मेरे महाविद्यालय की
प्राचार्या, प्राध्यापक तथा मेरे सहकर्मी गण।
विशेष आभार : पं. लालाराम उपाध्याय स्मृति समाज सेवा ट्रस्ट, खिरसौली, इगलास, अलीगढ़
कार्यस्थल : वरिष्ठ सहायक, श्री टीकाराम कन्या महाविद्यालय, अलीगढ़
“”
सपने ही एक दिन हकीकत बना करते हैं
हौसले से ही इंसान बुलन्दियों को छुआ करते हैं
तू बारिश की एक छोटी सी बूँद है तो क्या हुआ
हार मत मान संघर्ष कर बस इतना याद रख
एक-एक बूँद से ही समुन्दर भी बना करते हैं”””
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“कवि परिचय
नाम : मनोज कुमार मिश्रा (मनोज प्रवीण)
जन्म तिथि : 11.01.1979
जन्म स्थान : मिश्रपुर, मेजा, प्रयागराज
माता-पिता : श्रीमती सीता देवी एंव स्व. सुधीर कुमार मिश्रा
शिक्षा : एम.ए., बी.एड. प्रयागराज एंव सतना (म.प्र.)
जीवन में विशेष स्थान : माता-पिता के अतिरिक्त श्री अमरनाथ दुबे (दादा श्री) एवं बड़ी माँ, श्री प्रेम
शंकर मिश्रा (चाचा श्री ) श्री अजय शंकर पाण्डेय(मौसा जी) श्रीमती मनीषा
मिश्रा (धर्मपत्नी), श्री सतीश चन्द्र दुबे एडवोकेट(चाचा श्री)
आदर्श : श्री सुशील कुमार मिश्रा (बड़े भ्राता श्री) एंव श्रीमती सुधा मिश्रा(भाभी माँ)
काव्य संग्रह हेतु प्रेरणा : डॉ. हरिशंकर उपाध्याय सेवानि. एसो.प्रो., डॉ. मंजू सारस्वत पूर्व प्राचार्या,
डॉ. जय प्रकाश पटेल जी श्री प्रवीण पाण्डेय (गायक) एवं मेरे महाविद्यालय की
प्राचार्या, प्राध्यापक तथा मेरे सहकर्मी गण।
विशेष आभार : पं. लालाराम उपाध्याय स्मृति समाज सेवा ट्रस्ट, खिरसौली, इगलास, अलीगढ़
कार्यस्थल : वरिष्ठ सहायक, श्री टीकाराम कन्या महाविद्यालय, अलीगढ़
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सपने ही एक दिन हकीकत बना करते हैं
हौसले से ही इंसान बुलन्दियों को छुआ करते हैं
तू बारिश की एक छोटी सी बूँद है तो क्या हुआ
हार मत मान संघर्ष कर बस इतना याद रख
एक-एक बूँद से ही समुन्दर भी बना करते हैं”””