डॉक्टर जयनारायण कश्यप, सुपुत्र स्वर्गीय श्री ओमप्रकाश कश्यप एवं माता स्वर्गीय श्रीमती सुशीला देवी,जन्म 19/06/54, जन्मस्थान बिलासपुर, जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश, श्रीमद्दयानन्दायुर्वेदिक कॉलेज जालंधर से जी.ए.एम.एस. आयुर्वेदाचार्य हैं, हिमाचल प्रदेश सरकार के आयुर्वेद विभाग से आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं, सन् 2010 से सतत् लेखन में रत हैं, दो संस्मरण “संस्मरण जालंधर शहर के” एवं “याद न जाय” प्रतिलिपि डॉट काम पर उपलब्ध है, एक प्रकाशित उपन्यास “उल्लूकपुर का साम्राज्य” अमेज़न पर उपलब्ध है, चार और उपन्यास 1. “एक और सफर”, 2. “लच्छू अकेला क्यों मरे”, 3. “कलियुद्ध”, 4. “ताश के बावन पत्ते”, कॉपीराइट ऑफिस भारत में पंजीकृत है, कुछ कहानियाँ आलेख एवं कविताएँ,, पत्रिकाओं व समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई हैं, व लगभग दो हज़ार कविताएँ अप्रकाशित हैं. हिमालयन डिजिटल मीडिया में सम्पादन का कार्य करते हैं, व कला संस्कृति भाषा अकादमी हिमाचल प्रदेश के साहित्य कला संवाद के लाइव प्रसारण में साक्षात्कार कर्ता हैं. “एक और सफर” प्रकाशित होने वाला दूसरा उपन्यास है. अभी भी सतत लेखन में अग्रसर हैं
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डॉक्टर जयनारायण कश्यप, सुपुत्र स्वर्गीय श्री ओमप्रकाश कश्यप एवं माता स्वर्गीय श्रीमती सुशीला देवी,जन्म 19/06/54, जन्मस्थान बिलासपुर, जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश, श्रीमद्दयानन्दायुर्वेदिक कॉलेज जालंधर से जी.ए.एम.एस. आयुर्वेदाचार्य हैं, हिमाचल प्रदेश सरकार के आयुर्वेद विभाग से आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं, सन् 2010 से सतत् लेखन में रत हैं, दो संस्मरण “संस्मरण जालंधर शहर के” एवं “याद न जाय” प्रतिलिपि डॉट काम पर उपलब्ध है, एक प्रकाशित उपन्यास “उल्लूकपुर का साम्राज्य” अमेज़न पर उपलब्ध है, चार और उपन्यास 1. “एक और सफर”, 2. “लच्छू अकेला क्यों मरे”, 3. “कलियुद्ध”, 4. “ताश के बावन पत्ते”, कॉपीराइट ऑफिस भारत में पंजीकृत है, कुछ कहानियाँ आलेख एवं कविताएँ,, पत्रिकाओं व समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई हैं, व लगभग दो हज़ार कविताएँ अप्रकाशित हैं. हिमालयन डिजिटल मीडिया में सम्पादन का कार्य करते हैं, व कला संस्कृति भाषा अकादमी हिमाचल प्रदेश के साहित्य कला संवाद के लाइव प्रसारण में साक्षात्कार कर्ता हैं. “एक और सफर” प्रकाशित होने वाला दूसरा उपन्यास है. अभी भी सतत लेखन में अग्रसर हैं