इन्द्रसिंह अरसेला जी के अधिकतर शेर आभास कराते हैं कि ये निश्चित ही वह बीज हैं जो अंकुरित होकर ग़ज़लों के बग़ीचे को पुष्पित, पल्लवित करेंगे और अपनी अलग पहचान बनायेंगे। अरसेला जी की ग़ज़लों में सीधी, सरल, आम बोलचाल की भाषा है जिसे पाठक आसानी से समझ सकता है। ग़ज़ल संग्रह की पहली ग़ज़ल में ग़ज़लकार ने मज़दूर वर्ग की पीड़ा को उकेरा है और उनका हौसला कभी न टूटने की बात की है। चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी विपरीत रही हों।
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इन्द्रसिंह अरसेला जी के अधिकतर शेर आभास कराते हैं कि ये निश्चित ही वह बीज हैं जो अंकुरित होकर ग़ज़लों के बग़ीचे को पुष्पित, पल्लवित करेंगे और अपनी अलग पहचान बनायेंगे। अरसेला जी की ग़ज़लों में सीधी, सरल, आम बोलचाल की भाषा है जिसे पाठक आसानी से समझ सकता है। ग़ज़ल संग्रह की पहली ग़ज़ल में ग़ज़लकार ने मज़दूर वर्ग की पीड़ा को उकेरा है और उनका हौसला कभी न टूटने की बात की है। चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी विपरीत रही हों।