हरीश कुमार पिछले कुछ वर्षों से हिंदी कहानी में सक्रिय हैं। पंजाब में रहते हैं और अध्यापन करते हैं। पढ़ने और यात्रा करने के शौक़ीन हरीश के पहले दो कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। हरीश जीवन के यथार्थ को अपने नज़रिये से देखते हुए कहानियाँ पकड़ते हैं । किसी विशेष विचारधारा का प्रभाव उन पर नहीं है। वे युवा मन और उसमें बसने वाले रागात्मक और प्रेममूलक भावों को बख़ूबी कहानियों में प्रकट करते हैं। उनकी कहानियों में जहॉं प्यार और दोस्ती के क़िस्से आते हैं वहीं मध्यवर्ग के जनमानस की अधूरी चाहतें, सपने तथा छूट गए समय से जुड़ी भावनाएँ भी प्रमुख रूप से बनी रहती हैं । प्रेम, व्यंग और सामाजिक यथार्थ की क़िस्सागोई उनकी कहानियों का मूल तत्व है। अब वे रेडग्रैब बुक्स के प्रकाशन में अपनी नई कहानियों का संग्रह ‘प्यार बिना चैन कहाँ” नाम से और भी दिल छू जाने वाली कहानियाँ आप के सामने ला रहे हैं।
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हरीश कुमार पिछले कुछ वर्षों से हिंदी कहानी में सक्रिय हैं। पंजाब में रहते हैं और अध्यापन करते हैं। पढ़ने और यात्रा करने के शौक़ीन हरीश के पहले दो कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। हरीश जीवन के यथार्थ को अपने नज़रिये से देखते हुए कहानियाँ पकड़ते हैं । किसी विशेष विचारधारा का प्रभाव उन पर नहीं है। वे युवा मन और उसमें बसने वाले रागात्मक और प्रेममूलक भावों को बख़ूबी कहानियों में प्रकट करते हैं। उनकी कहानियों में जहॉं प्यार और दोस्ती के क़िस्से आते हैं वहीं मध्यवर्ग के जनमानस की अधूरी चाहतें, सपने तथा छूट गए समय से जुड़ी भावनाएँ भी प्रमुख रूप से बनी रहती हैं । प्रेम, व्यंग और सामाजिक यथार्थ की क़िस्सागोई उनकी कहानियों का मूल तत्व है। अब वे रेडग्रैब बुक्स के प्रकाशन में अपनी नई कहानियों का संग्रह ‘प्यार बिना चैन कहाँ” नाम से और भी दिल छू जाने वाली कहानियाँ आप के सामने ला रहे हैं।