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घर के सामने लगे पकड़िया के पेड़ की डालियों पर लेटकर, बड़े भाइयों की लाई हुई कॉमिक्स पढ़ते हुए गर्मियों की छुट्टी बिताने वाले हफ़ीज़ खुद लिखने लगेंगे, यह तो उनके सिवा किसी ने नहीं सोचा होगा। बड़े भाई की उँगली पकड़, लखनऊ की सबसे बड़ी ‘अमीर उद्दौला पब्लिक लाइब्रेरी’ जाने वाले हफ़ीज़, लाइब्रेरी की किताबों को ऐसे चाट गए कि दीमकें भी शर्म के मारे चुल्लू भर पानी में डूब मरीं और अब तो ये ‘हैशटैग वाले हफ़ीज़ क़िदवई’ नाम से मशहूर हैं। हफ़ीज़ पिछले कई वर्षों से रोज़ सुबह ‘हैशटैग’ कॉलम लिखते हैं, जिसके पाठक और प्रशंसक बड़ी तादाद में हैं। हफ़ीज़ क़िदवई लेखक हैं, यह बताते हुए उनका चेहरा एक ख़ास तरह की शर्म से गुलाबी हो जाता है, क्योंकि उन्हें लगता है कि लेखक होना बहुत बड़ा वाला काम है, जो उनकी एक हड्डी और कुछ किलोग्राम वज़न के बदन से मुमकिन नहीं है, जबकि कई वर्ष पहले आई उनकी पहली ई-बुक ‘हैशटैग’ पाठक के मन में अपना सिक्का जमा चुकी है। हिंदी के तमाम रूपों की वर्तमान बहस से अलग वह आज भी ‘हिन्दुस्तानी भाषा’ का परचम उठाए दिखते हैं। इनकी भाषा, हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी, अवधी सबका खिचड़ा है या कहें कि आम बोल-चाल ही उनके लेखन का अंदा़ज है।

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Hafeez Qidwai

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घर के सामने लगे पकड़िया के पेड़ की डालियों पर लेटकर, बड़े भाइयों की लाई हुई कॉमिक्स पढ़ते हुए गर्मियों की छुट्टी बिताने वाले हफ़ीज़ खुद लिखने लगेंगे, यह तो उनके सिवा किसी ने नहीं सोचा होगा। बड़े भाई की उँगली पकड़, लखनऊ की सबसे बड़ी ‘अमीर उद्दौला पब्लिक लाइब्रेरी’ जाने वाले हफ़ीज़, लाइब्रेरी की किताबों को ऐसे चाट गए कि दीमकें भी शर्म के मारे चुल्लू भर पानी में डूब मरीं और अब तो ये ‘हैशटैग वाले हफ़ीज़ क़िदवई’ नाम से मशहूर हैं। हफ़ीज़ पिछले कई वर्षों से रोज़ सुबह ‘हैशटैग’ कॉलम लिखते हैं, जिसके पाठक और प्रशंसक बड़ी तादाद में हैं। हफ़ीज़ क़िदवई लेखक हैं, यह बताते हुए उनका चेहरा एक ख़ास तरह की शर्म से गुलाबी हो जाता है, क्योंकि उन्हें लगता है कि लेखक होना बहुत बड़ा वाला काम है, जो उनकी एक हड्डी और कुछ किलोग्राम वज़न के बदन से मुमकिन नहीं है, जबकि कई वर्ष पहले आई उनकी पहली ई-बुक ‘हैशटैग’ पाठक के मन में अपना सिक्का जमा चुकी है। हिंदी के तमाम रूपों की वर्तमान बहस से अलग वह आज भी ‘हिन्दुस्तानी भाषा’ का परचम उठाए दिखते हैं। इनकी भाषा, हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी, अवधी सबका खिचड़ा है या कहें कि आम बोल-चाल ही उनके लेखन का अंदा़ज है।

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