दोस्त डॉ. इरफान खान के कई रंग देखे हैं मैंने। एक अच्छे दोस्त होने का रंग, एक बेहतरीन डॉक्टर होने का रंग, एक लाजवाब वक्ता होने का रंग, एक बहुत ही केयरिंग बच्चों के पापा और ख्याल रखने वाले शौहर का रंग, माँ-बाप का एक लायक बेटा होने का रंग। इन सारे रंगों में ढली इनकी शख्सियत का एक और बड़ा ही खूबसूरत रंग देखने को मिला मुझे, जब इनकी क्लीनिक के चैम्बर में इनसे लिखने के टॉपिक पर बात कर रहा था तब इन्होंने बताया कि मैं भी ‘‘पॉजिटिव और निगेटिव सोच” विषय पर लिख रहा हूँ। उनकी डायरी में, इस पर लिखे कुछ पन्ने पढे़ तो इनका ‘‘लेखकीय रंग” भी देखने को मिला।
दोस्त डॉ. इरफान खान के कई रंग देखे हैं मैंने। एक अच्छे दोस्त होने का रंग, एक बेहतरीन डॉक्टर होने का रंग, एक लाजवाब वक्ता होने का रंग, एक बहुत ही केयरिंग बच्चों के पापा और ख्याल रखने वाले शौहर का रंग, माँ-बाप का एक लायक बेटा होने का रंग। इन सारे रंगों में ढली इनकी शख्सियत का एक और बड़ा ही खूबसूरत रंग देखने को मिला मुझे, जब इनकी क्लीनिक के चैम्बर में इनसे लिखने के टॉपिक पर बात कर रहा था तब इन्होंने बताया कि मैं भी ‘‘पॉजिटिव और निगेटिव सोच” विषय पर लिख रहा हूँ। उनकी डायरी में, इस पर लिखे कुछ पन्ने पढे़ तो इनका ‘‘लेखकीय रंग” भी देखने को मिला।