लेखक स्वतंत्रता सेनानी है और 1942 में यातनाएं भुगती है, पिताजी को नोकरी से निकाल दिया गया था, फिर भी किसी तरह अपनी शिक्षा पूरी की और वकालत प्रारंभ की और महाधिवक्ता के उच्चतर पद पर आसीन हुए।
भोपाल गैस त्रासदी के मुकदमे का अटर्नी जनरल के साथ लगातार पैरवी की और लगभग दो वर्ष की मशक्कत के बाद उस प्रकरण में समझौता करवाया और करोड़ो रूपये जो गैस से पीड़ित थे उनको मिले।
इनका जन्म 23 जुलाई 1927 को हुआ था और अब 95 वर्ष पूर्ण कर चुके है।
Showing all 2 results
लेखक स्वतंत्रता सेनानी है और 1942 में यातनाएं भुगती है, पिताजी को नोकरी से निकाल दिया गया था, फिर भी किसी तरह अपनी शिक्षा पूरी की और वकालत प्रारंभ की और महाधिवक्ता के उच्चतर पद पर आसीन हुए।
भोपाल गैस त्रासदी के मुकदमे का अटर्नी जनरल के साथ लगातार पैरवी की और लगभग दो वर्ष की मशक्कत के बाद उस प्रकरण में समझौता करवाया और करोड़ो रूपये जो गैस से पीड़ित थे उनको मिले।
इनका जन्म 23 जुलाई 1927 को हुआ था और अब 95 वर्ष पूर्ण कर चुके है।