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Description

कई एक सन्दर्भों में यह कविता-संग्रह आपको पाठकीयता का एक अलग अनुभव देता मिलेगा। यहाँ कविताएँ सिर्फ़ अपनी बात ही नहीं कहतीं बल्कि पाठक के साथ सीधा संवाद करती हुई, प्रश्न भी खड़े करती हैं। इस संग्रह में सामाजिक सरोकार तो है ही लेकिन उसके साथ प्रेम भी है; जीवन, समाज, सिद्धांत और जीवन-मूल्यों की उलझनें भी हैं। अपनी बातों को सीधे, सरल और सपाट अंदाज़ में कहने में कुशल लेखक की यह दूसरी पुस्तक है। अपनी पहली पुस्तक ‘मताकू’ (कहानी-संग्रह) से अत्यन्त अल्प समय में लोकप्रियता और साहित्य में विशिष्ट पहचान बना चुके अजय प्रताप श्रीवास्तव की यह पुस्तक ‘उलझी डोर’ (कविता-संग्रह) निश्चित रूप से आपको एक नया और विशिष्ट अनुभव देगी।.

Book Details

Weight 150 g
Dimensions 8.5 × 5.5 × 0.48 in
Edition

First

Language

Hindi

Binding

PaperBack

Pages

120

ISBN

9789388556163

Publication Date

2019

Author

Ajay pratap srivastava

Publisher

Anjuman Prakashan