Description
मेरी बात
मुअज़्ज़िज़ (सम्मानित) क़ारीईन (पाठकगण) देवनागरी रस्मुल-ख़त
(लिपि) में मेरा यह पाँचवा मजमूआ-ए-ग़ज़ल (ग़ज़ल-संग्रह) तारा-तारा शब
के उनवान (शीर्षक) से आपके रू-ब-रू है, मैं अपने कलाम के बारे में ख़ुद कु छ
कहूँ यह मुनासिब नही है। आपकी मो’तबर ज़हानत (विश्वसनीय प्रतिभा) ही
इसका फ़ैसला कर सकती है कि कलाम कै सा है।
आप क़ारी (पाठक) हैं, आप दानिश्वर (बुद्धिजीवी) हैं, आप आदिल (न्यायप्रिय) हैं, आपका फ़ैसला, आपकी राय सर-आँखो पर। ं
आपका
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