Description
अपनी रचनाओं के बारे में इतना ही कहूँगा कि चिंतन में केंद्र से वाम विचारधारा का अनुसरण करते हुए भी मैंने रचनाओं को विचारधारा-निरपेक्ष रखने का प्रयत्न किया है। जिस मन:स्थिति में जो विचार या भावनाएँ उठीं वही रचनाओं में ढल गयीं। मैं सायास वैचारिक चिंतन को कविताओं में आरोपित करने का पक्षपाती नहीं हूँ; जो सहज और स्वाभाविक है वही मेरी रचना में आया है। संवेदना को घटाने-बढ़ाने का उद्योग सचेतन मन से कहीं नहीं हुआ है। कहीं-कहीं तत्सम शब्द यदि अधिक प्रयुक्त हुए हैं तो वे भी सहज रूप से ही आये हैं, किसी विशेष उपक्रम या उद्योग से नहीं। आरम्भ में पारम्परिक गीत हैं, फिर नवगीत हैं और ऐसे भी गीत, जो गीत-नवगीत की अस्पष्ट-सी सीमा पर हैं।
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