Description
अनुकूलता सुख देती है और प्रतिकूलता दुख। एक ही वस्तु किसी को सुख देती है और किसी को दुख, किन्तु सुन्दरता वस्तु-निष्ठ है। जो कल्याणकारी है, वही सुन्दर है। वह किसी के दुख का कारण नहीं हो सकती यद्यपि वह कष्ट-साध्य हो सकती है। तप, कष्ट-साध्य है किन्तु कल्याणकारी है अत: सुन्दर है। शिवत्व का अर्थ है, प्रगति या कल्याण। अशिक्षा से शिक्षा की ओर, दरिद्रता से समृद्धि की ओर, निस्तेज से तेजस्विता की ओर प्रगति है। यह शिव है और सुन्दर है। ईश्वरत्व को साकार करने के प्रयास में भारतीय मनीषा ने शिव की अवधारणा प्रस्तुत की। यह पराभौतिक ज्ञान की ओर बढ़ने का एक प्रयास था। यह कहती है, शिव का हेतु ही सत्य है। शिवत्व ,सत्य की ओर ले चलता है। यत सत्यं तत् शिवम, यत शिवम तत् सुन्दरम्। शिव सदैव सुखद रूप से शीतल है, शान्त है, सुन्दर है और पवित्र है।
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