Description
एक ऐसे महापुरुष के जीवन के विषय में लिखना, जिसको न तो कभी किसी ने लिखा और न ही पढ़ा। यह एक दुरूह कार्य है, किन्तु स्वयं की प्रेरणा और उत्कण्ठा ने नीरज त्रिपाठी जी को ब्रह्मचारी जी के विषय में लिखने के लिये बाध्य कर दिया। सबसे बड़ी समस्या सौ वर्ष पूर्व की जानकारी इकट्ठा करना था, क्योंकि उस समय का कोई भी व्यक्ति आज जीवित नहीं है।.