Description
सफलता-असफलता के मायने प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग-अलग होते हैं; कोई व्यक्ति अपनी नज़र में सफल हो सकता है, परन्तु वह दूसरों की नज़र में एक असफल व्यक्ति हो सकता है। मान लीजिए कोई व्यक्ति अपने बच्चे को डॉक्टर या इंजीनियर बनाना चाहता है और उसके लिए वह अपने बच्चे को सारी सुविधाएँ मुहैया कराता है, परन्तु उसका बच्चा बैंक में जाना चाह रहा है; वह उपलब्ध सुविधाओं का उपयोग अपने ड्रीम जॉब के लिए कर रहा है और एक दिन जब उसका चयन बैंकिंग क्षेत्र में हो गया तो, उस समय वह निश्चित ही अपनी नज़र में एक सफल व्यक्ति बन गया परन्तु अपने पेरेन्ट्स की नज़र में उस छात्र की सफलता का मूल्यांकन कम है या यों कहें, उसने पेरेन्ट्स की नज़रों में केवल नौकरी प्राप्त की है न कि सफल व्यक्ति बनकर उभरा है। सफलता की कोई तय मंजिल नहीं होती; उसे खुद ही तय करना पड़ता है और जब तक उस मंजिल पर पहुँच न जायें चलना ही पड़ता है।