Description
भगवद्गीता भारत के अध्यात्म का मूल स्रोत है। निष्काम कर्मयोग की आधार भूत व्याख्या से आप्लावित यह ग्रन्थ भारत ही नहीं सम्पूर्ण विश्व के मानवों को त्याग एवं संयम के साथ रहने तथा अन्याय के विरुद्ध खड़े होने की सीख देता है। श्री पंकज मिश्रा ‘वात्स्यायन’ ने इसी महनीय ग्रन्थ के सार का प्रणयन अपनी लेखनी से किया है। गीता के गूढ़ रहस्यों को ग़ज़ल विधा में सम्प्रेषित कर उन्होंने साहित्य को उपकृत करते हुए न केवल हिन्दी साहित्य का संवर्धन किया है अपितु सम्पूर्ण मानव जाति को उन गूढ़ आध्यात्मिक रहस्यों से अवगत कराया है। श्रीमद्भगवद्गीता के जिन श्लोकों की व्याख्या से आम जनमानस बिना आचार्यों के वञ्चित रह जाता है, उन श्लोकों को सहज ही कविता से रस सिक्त करने का महनीय कार्य उनके करकमलों से सम्पादित हुआ है।.