Description
रचनाकार के सृजन में प्राय: उसके जीवन की अनुभूतियाँ होती हैं, जिनका प्रकारांतर से प्रत्यक्ष या परोक्ष रसात्मक प्रकटीकरण होता है। इसके साथ रचनाकार के संवेदनशील हृदय में अपने परिवेश के खट्टे-मीठे अनुभवों को आत्मसात करने और उन्हें अपनी रचनाओं में लोकमंगलकारी संदेश के साथ सजीवता से शब्दायित करने की विलक्षण क्षमता होती है। केवल प्रसाद सत्यम के प्रस्तुत दोहा-संग्रह ‘नये वर्ष की ब़र्फ’ में इन सृजनमूलक क्षमताओं का भरपूर उपयोग हुआ है और संगृहीत दोहों में ‘सत्यं-शिवं-सुंदरम्’ स्वयमेव साकार हो उठा है।