mausam badalna chahiye

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Description

खून बहने और बहाने से मुझे कोई गुरेज नहीं, कोई परहेज नहीं; मगर ये खून सवर्ण और शूद्र के नाम पर न बहे, हिन्दू और मुसलमान के नाम पर न बहे; खून बहे तो सिर्फ क्रांति के नाम पर, परिश्रम हो तो सिर्फ राष्ट्र-निर्माण के लिए, पसीना बहे, तो उससे राष्ट्रीयता की खुशबू आनी चाहिए। रामराज की संस्थापना की राह में गिरने वाला लहू का हर एक कतरा भारतवर्ष में व्याप्त रावण-राज के पतन का पर्याय हो, यही मेरी शुभेच्छा है, यही मेरी साधना का सार है। जो लोग समाज के प्रति संवेदनहीन हो गए हैं, जिन्हें जागते हुए भी सोने की आदत पड़ चुकी है, जीवित होकर भी जो मृतवत् व्यवहार करते हैं; उन्हें होश में लाने के लिए चीखना पड़ता है; उनकी चेतना को जगाने के लिए उनके सामने चिल्लाना पड़ता है। निष्ठुर शब्दों का प्रयोग सर्वथा अनपेक्षित है; किन्तु यदि मृदु कोमल शब्दों से बात बनती न दिखे, तब कठोर शब्दों का चयन हमारी मजबूरी बन जाता है। ये कटु शब्द घृणा के द्योतक, नहीं वरन् जन जागृति के कुशल कारक ही सिद्ध होते हैं, ऐसा मैं महसूस करता हूँ। – नीरज

Book Details

Weight 140 g
Dimensions 8.5 × 5.5 × 0.448 in
Edition

First

Language

Hindi

Binding

paper back

Pages

112

ISBN

9789386027658

Publication Date

2017

Author

niraj kumar singh

Publisher

Anjuman Prakashan