Description
इसे आत्मकथा कहो चाहे जीवन वृतांत; बस अपनी जीवन-यात्रा का वृतांत एक पुस्तक के रूप में उद्घाटित कर दिया है। जीवन में घटित अनेकानेक घटनाएँ कभी-कभी मानस-पटल पर अंकुरित हो उठती हैं। जीवन के अलग-अलग मोड़ों पर नये-नये चरित्रों से सामना होता है, जिससे हमारे विचारोंं और अनुभवों को एक नया आयाम मिलता है। जीवन के इस पड़ाव पर कभी-कभी खालीपन महसूस होता है जिसे भरने के लिए स्मृति रूपी साथियों से बड़ा सम्बल मिलता है; यह जीवन को और अधिक श्रेष्ठता की ओर अग्रसर होने को भी प्रेरित करता है। एक बार मेरे एक अग्रज साथी ने कहा था-
“तुम्हूँ ढलान पर, हम्हूँ ढलान पर,
तुम हमरी बाँह पकड़ो, हम तुमरी बाँह पकड़ें।
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