Description
यूँ तो तमाम किताबें इधर आपकी नज़र से गुज़र रही होंगी। हर किताब अपने में कुछ न कुछ ख़ासियत समेटे होती है। हर किताब में लेखक की वह साँसें गुँथी होती हैं, जिन्हें वह चाहता है, हमेशा जीवित रहें। किताब ‘कुफ़्र की रातें’ भी लेखक फ़ायक़ अतीक किदवई की वह साँसें हैं, जिन्हें हमेशा जीवित रहना चाहिए। फ़ायक़ के लिखने में फिलॉसफी का जो पुट है, वह आवारापन के साथ मिलकर पूरा एक दऱख्त बन जाता है। इतने अधिक और इतने विविध कोट्स शायद ही कहीं एक साथ मिलें। फ़ायक़ ने हर विषय को बेहद बारी़क ऩजर से देखा है और देखकर चंद अल़्फा़ज में सामने रख दिया है। यह न ही कहानियाँ हैं, न ही कविता हैं। यह एक आम इंसान की वह साँसें हैं, जो पल-पल चमत्कृत करती हैं। दिल को झकझोरती हैं, तो कभी सहलाती हैं। फ़ायक़ अती़क किदवई का लेखन इस दौर का बहुत अलग लेखन है, जिसका जोखिम अल्हड़, संवेदनशील, आवारा, दिलफेंक, झगड़ालू, मोहब्बती और दोस्तों के लिए सारी हदें तोड़ देने वाला दोस्त फ़ायक़ ही ले सकते हैं। उम्मीद है, यह किताब उम्मीदों को पंख देगी …