Description
आचार्य मम्मट ने काव्य के प्रयोजनों पर चर्चा करते हुये इसे लोक कल्याण का विधायक इसीलिए कहा है क्योंकि शिव का तीसरा नेत्र अनिष्ट का शमन करने की सर्वाधिक सामर्थ्य तो रखता ही है, इसकी महत्ता इसकी वह परादृष्टि भी है जिसे योगदर्शन में महर्षि पतंजलि ‘ऋतंभरा प्रज्ञा’ से उपहित करते हैं। इस प्रकार संसार और समाज में विचरण करने वाले मनुष्यों में अतिविशेष की यह पहचान उस व्यक्ति के आत्मसाक्षात्कार के वृत्त से किसी प्रकार कम नहीं है। अनीता श्रीवास्तव की ‘जीवन वीणा’ काव्यकृति कुछ ऐसी ही साधना और सिद्धि का परिणाम होगी.