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Description

वैसे भी माँ तन से नहीं मन से होती है। माँ एक शरीर नहीं एक भाव है। जिसमें माँ होने का भाव नहीं वह बच्चे जन कर भी माँ नहीं हो सकती। उदाहरणार्थ मदर टेरेसा ने बच्चे कभी पैदा नहीं किये फिर भी वह एक आदर्श माँ थी। बच्चे पैदा करने एवं दूध पिलाने से कोई माँ नहीं बनती। माँ तो माँ की भावदशा को उपलब्ध होने से ही बनती है। जिसमें ममता नहीं वह माँ नहीं। ममत्व की भावदशा को प्राप्त कर कोई पुरूष भी माँ बन सकता है। इस कसौटी पर भी मेरी माँ एक आदर्श माँ थी। यही कारण है कि माँ के चले जाने के बाद मुझे वियोग की अथाह पीड़ा से गुजरना पड़ रहा है। माँ के वियोग से उत्पन्न अथाह पीड़ा का संघनित रूप ही इसरावत है, जो आपके कर कमलों में सुशोभित है। माँ के विराट बहुआयामी व्यक्तित्व का वर्णन पूर्णता के साथ करना एक दुष्कर कार्य है। ये वही माँ है जिसकी गोदी में पला-बढ़ा, आंचल में खेला कूदा। माँ के साये में पढ़-लिख कर कुछ बन सका। ये वही माँ है जो मुझे देवता कहा करती थी। मेरे विषय में माँ की दृढ़ इच्छा थी की कोई देवता है जो मेरी कोख से पैदा हो गया है। धन्य है ऐसी माँ। ऐसी माँ के विषय में भला मैं क्या लिख सकता हूॅ, फिर भी मैंने साहस करके विभिन्न आयामों को समेटने का भरसक प्रयास किया है। मेरा लेखन कितना सार्थक है, ये अब आप तय करेंगे। विद्वान एवं सुधी पाठकों की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में………

Book Details

Weight 200 g
Dimensions 8.5 × 5.5 × 0.64 in
Edition

First

Language

Hindi

Binding

PaperBack

Pages

160

ISBN

9789388556040

Publication Date

2019

Author

Dr. rakesh rishabh

Publisher

Anjuman Prakashan