Chandalon Ka Pratishodh,Atal Abhishap

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Description

Chandalon Ka Pratishodh –सत्ताओं के संघर्ष से आहत और वर्णभेद से विभाजित समाज व्यापक पतन की ओर अग्रसर है। सत्तालोलुप आर्य सम्राट निषादों के राज्य हड़प रहे हैं। षड्यंत्रकारी महंत और सामंत धर्मग्रंथों की मनमानी व्याख्या कर रहे हैं। दमित और पीड़ित चांडाल वर्ग का आक्रोश विप्लव का रूप ले रहा है। इसी पाश्र्व में यदुवंशी सम्राट रुद्रसेन और उसके पुरोहितों का षड्यंत्र सुंदर-सौम्य ब्राह्मण युवती शत्वरी को एक चंचल प्रेमिका से रक्तपिपासु चांडाल योद्धा बना देता है। आहत और अपमानित शत्वरी एक ऐसा मायावी यंत्र खोज निकालती है जिसमें अलौकिक शक्तियाँ छुपी हुई हैं, परन्तु प्रतिशोध की ज्वाला में जलती शत्वरी स्वयं उस यंत्र पर मँडराते अभिशाप में जकड़ जाती है। दूसरी ओर युवा निषाद राजा नील, नगरवधू वैशाली, गणिका अमोदिनी और यदुवंशियों के चिरशत्रु रघुवंशी भी रुद्रसेन के विरुद्ध घात लगाए बैठे हैं। कितनी कठिन है शत्वरी की उस मायावी यंत्र को ढूँढने की यात्रा? कौन सी जादुई शक्तियाँ छुपी हैं उसयंत्र में? वह कौन सा अभिशाप है जो इन शक्तियों का आवाहन करने वाले को जकड़ लेता है? क्या शत्वरी इस अभिशाप से सुरक्षित बाहर निकल पाएगी? क्या यदुवंशियों के अन्य शत्रु शत्वरी के संघर्ष में उसका साथ देंगे? या कथानक का अंत एक भीषण महासमर में होगा?

Atal Abhishap- गौरवशाली उत्तर-वैदिक युग में, दंडक मध्य भारत में एक वन राज्य है। हरा और समृद्ध। पड़ोसी राज्यों की नज़र
दंडक की संपदा पर है। उत्तर में कोसल, दक्षिण में आंध्र, पश्चिम में विदर्भ और पूर्व में कलिंग। दंडक के युवा राजा
मुकुंद वर्मा की मुख्य चिंता अपने राज्य को पड़ोसी राज्यों की बुरी नज़र से बचाने की है। वे इस बात से अनजान हैं कि
उनका असली शत्रु उनके अपने ही राज्य के भीतर छुपा हुआ है। इस आंतरिक शत्रु की सहायता से शक्तिशाली पड़ोसी
राज्य दक्षिण कोसल के सम्राट रुद्रसेन दंडक पर एक प्रचंड आक्रमण करते हैं। दंडक को न केवल बाहरी हमले का
सामना करना पड़ता है बल्कि आंतरिक विद्रोह का शिकार भी होना पड़ता है। किन्तु युवा रानी कुसुमलता की कुटिल
रणनीतियों के उपयोग से, दंडक अपने शत्रुओं को धूल चटाने में सफल हो जाता है।
पराजित और अपमानित रुद्रसेन कुसुमलता से प्रतिशोध लेने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं, किन्तु वे युवा रानी की
रणनीतिक चतुराई से भयभीत भी हैं। कुसुमलता को हराने की हताश इच्छा में, रुद्रसेन एक जादुई यंत्र और उसमें
निहित आध्यात्मिक शक्तियों को प्राप्त करने के लिए लालायित हो उठते हैं। किन्तु वे इस बात से अनजान हैं कि वह
यंत्र अभिशप्त है। जादुई यंत्र को प्राप्त करने के अपने उन्मत्त प्रयास में, रुद्रसेन को यंत्र के प्रतिद्वंद्वी साधकों के साथ
प्रतिस्पर्धा करनी होगी।
कौन सी जादुई शक्तियाँ छुपी हैं उस यंत्र में? वह कौन सा अभिशाप है जो इन शक्तियों का आवाहन करने वाले को
जकड़ लेता है? आखिर यंत्र को कौन प्राप्त कर पाएगा और कौन होगा इसके अभिशाप का शिकार?

Book Details

Weight 474 g
Dimensions 5.5 × 5.5 in
Pages

474

Language

English

Edition

First

ISBN

B0BW42JD1T

Author

Sandeep Nayyar

Publisher

Redgrab Books

Series

The Chronicles Of Kosala

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