Description
जीवन हमारे सामने इंद्रधनुष की तरह आता है जिसमें प्रेम, विरह, अवसाद,उत्साह, दुख, सुख सभी समाहित रहते हैं, ये कविताएँ और गीत मिलकर ऐसा ही इंद्रधनुष बना रही हैं.
स्त्री की विविध भूमिकाओं का शब्द चित्र खींचा गया है और प्रेमिका की परिस्थितिजन्य मानसिक अवस्था का सजीव चित्रण है.यह महज़ प्रेमालाप नहीं है भ्रूणहत्या, दहेज़, सामाजिक असमानता के विरुद्ध एक आवाज़ भी है, एक ऐसी आवाज़ जो निसंतान स्त्री को अपराधी समझने वाले समाज की आँखों में आँखे डालकर दो दो हाथ करने को तैयार है. सरकारी ढर्रे पर व्यंग्य करती हुई कविताएँ सामान्य जन के हृदय की पुकार बन पडी हैं. गीतिकाएँ और गीत भी कविताओं का पूरा साथ दे रहे हैं.यह पुस्तक आपको आपके बेहद करीबी महसूस होगी
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