Description
इस पुस्तक की कहानी का मर्म जिसे इसके नाम “अंतिम-शेष” द्वारा भी बखूबी समझा जा सकता है । जहाँ एक लड़की ‘रोमिला’ जो अपने अटल व्यक्तित्व को स्थापित करने हेतु पूर्णतः दृढ़ है किंतु परिस्थितिवश जब उसके साथी द्वारा उसका मानसिक एवं शारीरिक शोषण कर उसे तोड़ने का प्रयास किया जाता है तब ऐसी स्थिति में खुद को सामाजिक रूप से हीन जान चुकी रोमिला के लिए किंचित भी खुद को संभाल पाना संभव नहीं हो पाता । जिसका मुख्य कारण हमारे समाज में व्याप्त विचारधाराओं का अतिक्रमण हैं जो अक्सर ही शोषित स्त्री के विरुद्ध पक्षपाती होकर खुद को स्थापित कर लेता है । किंतु फिर किसी अपनो के सहारे और उसके द्वारा की गई एक पहल से जब उसे अपने व्यक्तित्व का ज्ञान होता है तब उसका अंतिम-शेष ही उसे उसके जीवन के उस आयाम पर ले जाता है जहां से वह खुद को एक बार पुनः स्थापित करने में सफल सिद्ध होती है।