Aarogya Dohawali

200.00


Back Cover

In stock

SKU: 9789391531867 Categories: ,

Description

अञ्जनी अमोघ जी को एक श्रेष्ठ कवि के रूप में जानता था, किन्तु वे आयुर्वेद के इतने मर्मज्ञ है यह स्वरूप उनका मैं इस ‘आरोग्य-दोहावली’ कृति से देख रहा हूँ। योग प्राणायाम,आसन संग आहार व औषधियों का उनका कितना गहन अध्ययन है यह उनकी इस अनूठी कृति से दृष्टिगोचर होता है। पहले वैद्यों को भी कविराज कहा जाता था क्योंकि अधिसंख्य नुस्खे पद्य में होते थे क्योंकि उन्हें याद करना अत्यंत सुगम होता था। मुझे आज भी दन्त-चिकित्सा का यह दोहा जो मैं बचपन में किसी वैद्यकीय-पुस्तक में पढ़ा था वह याद है-

त्रिफला, त्रिकुटा, तूतिया, पाँचों नमक पतंग।
दॉंत वज्र सम होत हैं, माजू फल के संग।।

इसी तरह के प्रयोग श्री अमोघ जी ने अपनी इस पुस्तक में किये हैं। योग प्राणायाम एवम् आसन से कठिन विषय को दोहा छंद में आपने अत्यंत सरल तथा सहज भाषा-शैली में बड़ी आसानी से समझाया हैं। जिसे सुनकर अनपढ़ व्यक्ति व कम पढ़ा लिखा व्यक्ति भी सुगमता पूर्वक स्मरण कर सकता है। पारंपरिक वैद्यकीय पुस्तकों की भाँति लिखी गई यह पुस्तक इस हेतु भी अनूठी है, क्योंकि इसमे योग प्राणायाम, आसान एवम् औषधियों के अतिरिक्त आहार के विभिन्न घटकों को जोड़ा गया जिसे पढ़कर व अपने जीवन में उतार कर कोई भी व्यक्ति स्वयं अपना उपचार कर विभिन्न रोगों से मुक्ति पा सकता है।
योग के अंतर्गत मर्कटासन का वर्णन कितना बोधगम्य है-

मर्कट-आसन नित्य हो, हल्का करता पेट।
हाथों को खोलें अधिक, दाये-बायें लेट।।1।।

जोड़-दर्द नितम्ब सहित, कमर-दर्द में लाभ।
दस्त-क़ब्ज़ भी ठीक हो, अंग बने हेमाभ ।।2।।
हलासन के लाभ बहुत सरल तरीके से दोहो में व्यक्त किए गये है

अंग-अंग में लोच हो, आसन करे प्रभात।
गर्दन-हड्डी ठोस हो, शीश-दर्द दे मात।।1।।

अग्न्याशय बेहतर हो, तन भागे मधुमेह।
हल-आसन को कीजिए, रोग न आये देह।।2।।

गोमुख आसन की विशेषता निम्न शब्दों में छन्दोबद्ध किया है-

सन्धिवात अतिकम करे, होता वक्ष-विकास।
अण्डकोश की बृद्धि हो, जगते नाना आस।।1।।

धातु-रोग बहुमूत्र में, गोमुख-आसन लाभ।
महिलाएँ नियमित करे, बदन बने श्वेताभ।।2।।

इसी प्रकार मत्स्यासन, सर्वांगासन, सुप्तवज्रासन, धनुरासन, नौकासन, गर्भासन, पर्वतासन, शशकासन, गोरक्षासन, मर्कटासन, मण्डूकासन, सिद्धासन, सिंहासन, भुजंगासन, ताड़ासन आदि आसनों पर लिखे गये दोहे अत्यन्त सरल व अपने आप में आसनों के सम्पूर्ण गुणों को व्यक्त करने में समर्थ हैं। उदाहरण के लिए सेतुबन्ध-आसन के विषय में लिखा गया यह दोहा-

दमा-व्याधि में लाभकर, पीठ-रोग हो ठीक।
नियमित आसन कीजिए, हो जीवन निर्भीक।।

प्रमुख आसनों के साथ विभिन्न मुद्राओं, दण्ड, षट्कर्म, सूर्य-नमस्कार एवम् आठों प्राणायाम को बहुत सरल भाषा में छन्दोबद्ध किया गया है। अनुलोम-विलोम प्राणायाम के लाभ में लिखा गया दोहा-

बायें-दायें नाक से, हो अनुलोम-विलोम।
धीरे-धीरे श्वांस लें, ध्यान करें नित ओम्।1।।

संधिवात, गठिया सहित, भागे वात-विकार।
धातु-रोग में कारगर, हो नज़ला-उपचार।।2।।

इसी प्रकर औषधीय पेड़-पौधों के गुण-धर्मों का विवरण अत्यन्त लाभप्रद व जनोपयोगी है। अपने आस-पास पाये जाने वाले पेड़-पौधों से ही शरीर के समस्त रोगों का उपचार इस पुस्तक को पढ़कर किया जा सकता है। एक-एक वनस्पति रोगोपचार हेतु कितना प्रभावी है, यह इस पुस्तक के दोहों को पढ़कर अत्यन्त सहज ढंग से जाना जा सकता है। देखिए अमलतास पर लिखें दोहे-

अमलतास पत्ता करे, कुष्ठ-रोग को दूर।
चर्म-रोग में कारगर, खुजली हो काफ़ूर।।1।।

अमलतास की छाल का, नियमित सेवन अर्क।
न्यून करे मधुमेह को, दिखे माह में फ़र्क़।।2।।

इसी क्रम में अर्जुन की छाल –
नियमित सेवन छाल का, कम करता मधुमेह।
सुबह-शाम काढ़ा पिये, फुर्ती आये देह।।1।।

नागबला, केवांच मे, डाले अर्जुन-चूर्ण।
औषधि है क्षय-रोग की, लाभ करे सम्पूर्ण।।2।।

इसी तरह फल में पाये जाने वाले विटामिन, प्रोटीन एवम् औषधीय गुणों को बहुत अच्छे से बताया गया है अखरोट पर रचित दोहे कितने सटीक है-

कैंसर में अति लाभकर, मल होता है साफ़।
सूजन, पथरी-पित्त की, हो जाती है हाफ़।।1।।

ओमेगा संतुलित हो, एंटीऑक्सीडेंट।
ऊर्जा देता स्नायु को, खायें परमानेंट।।2।।

अमोघ जी ने लगभग 50 प्रमुख फलों में पाए जाने वाले तत्त्वों एवं औषधीय गुणों को बहुत सरल ढंग से छन्दोबद्ध किया खजूर के गुणों का वर्णन करते हुए लिखा है कि-

बवासीर, पाचन सहित, कैंसर-रोग बचाव।
यौन-शक्ति ऊर्जा बढ़े, भागे अंग-तनाव।।1।।

मिलता शोरा, सोडियम, भरा पड़ा ग्लूकोज़।
फ़ास्फ़ोरस, मिनरल्स है, रहता है फ़क्टोज़।।2।।

चीकू फल की गुण में लिखा गया दोहा साहित्य का पूर्ण वैज्ञानिकीकरण करता है
भास्वर, रेशा संग में, एंटीऑक्सीडेंट।
लेटेकस-मात्रा अधिक, ऊर्जा का एजेंट।।1।।

पानी तन में दूर हो, करता दूर तनाव।
पित्त, क़ब्ज़ नाशक रहे, खायें चीकू चाव।।2।।

इसीप्रकार अंगूर, अंजीर, अदरक, अरवी, कालीमिर्च, केशर, खसखस आदि पर लिखे गये दोहे कितने लाभकारी है वह तो अमोघ जी भी इस कृति को पढ़कर ही जाना जा सकता है।
औषधियोंं व रोगों के वर्णन में अनेक देशज व सर्वग्राही शब्दोंं का प्रयोग किया गया है तथा जहॉं आवश्यक है वहा अंग्रेजी, अरबी, फ़ारसी के प्रचलित शब्दोंं से परहेज नहीं किया गया है, जिससे इन दोहों की सहजता व बोधगम्यता बढ़ी है।
आपने सब्ज़ी, अनाज, मसाला, के आयुर्वेदिक एवम औषधीय गुणों के साथ किस पदार्थ को खाने से क्या लाभ है और क्या हानि है इसको दोहे में लिखकर इस पुस्तक की सार्थकता को सिद्ध कर दिया है
अजवाइन पर आपने लिखा है कि

अजवाइन में गुण कई, बदले तन तक़दीर।
चोट-मोच राहत मिले, कम हो वपु के पीर।।1।।

मारे कीड़े पेट के, हटता क़ब्ज़-विकार।
कील-मुहाँसे की दवा, यौन-रोग उपचार।।2।।

पालक के गुण को आपने बड़ी सरलता से दोहे में लिखा

मेमोरी अति तेज हो, रक्त-अल्पता दूर।
अग्न्याशय में लाभकर, आँख दवा मशहूर।।

विज्ञान के कठिन शब्दों का प्रयोग करने के बावजूद भी दोहे में प्रवाह की कमी नहीं है फ़ास्फ़ोरस, मैग्नीशियम, मैग्नीज, सोडियम विटामिन, सेलेनियम, कैल्शियम, थायमिन, कैरोटीन, केलोस्ट्राल, कोर्बोहाईड्रेट, एन्टीवैक्टीरियल, एंटीबायोटिक, एंटीऑक्सीडेंट, आदि शब्दोंं के प्रयोग के बावजूद दोहे में कही भी मुझे धारा प्रवाह की कमी नहीं महसूस होती है। दोहे की संप्रेषणीयता इतनी अच्छी है कि, पाठक प्रभावित हुये बगैर नहीं रह सकता। मुझे लगता है कि यह पुस्तक अथर्ववेद का हिंदी रूपांतरण है आरोग्य-दोहावली जनोपयोगिता की दृष्टि से अनमोल कृति है।
मैं सोचता था यह वीर रस के कवि है वा अस्त्र-शस्त्र जो बिना चूके शत्रु पर प्रहार करते है उन्हें ‘अमोघ’ कहते है, इसलिये इन्होंने अपना नाम ‘अमोघ’ रखा है किन्तु इस पुस्तक में कैंसर, दमा, मधुमेह, स्नायु रोग, सियाटिका जैसे असाध्य रोगों के अनेक अचूक नुस्खों का वर्णन दोहों में किया है, जो ‘अमोघ’ उपनाम को सार्थक करता है। यही नहीं जिस प्रकार लक्ष्मण को शक्ति लगने पर उसके उपचार हेतु अञ्जनीकुमार हनुमान् जी संजीवनी लेकर आये थे। ठीक उसी प्रकार अञ्जनी ‘अमोघ’ जी की इस अनूठी कृति में दोहोंं के माध्यम से प्रणीत अमोघ औषधीय नुस्खे जन-जन के स्वास्थ्य हेतु संजीवनी साबित होंगे। स्वच्छ भारत की तरह स्वस्थ भारत के निर्माण में यह कृति मील का पत्थर बनेगी। प्रिय अञ्जनी ‘अमोघ’ जी को बहुत-बहुत साधुवाद, शुभकामनाएं बधाइयाँ व शुभाशीष।
भवदीय
कमलेश मौर्य ‘मृदु’
(पूर्व सदस्य राजभाषा सलाहकार समिति
कृषि मंत्रालय भारत सरकार)

Book Details

Weight 248 g
Dimensions 5.5 × 8.5 in
Edition

First

Language

Hindi

Publication Date

25 September 2022

ISBN

9789391531867

Pages

198

Author

Anjani Amogh

Publisher

Anjuman Prakashan

Reviews

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Aarogya Dohawali”

Your email address will not be published.