मध्यप्रदेश-राजस्थान के खेतों और चंबल के किनारों से लेकर दिल्ली-गुरुग्राम की सड़कों और दफ़्तर के कम्प्यूटर तक का सफ़र तय करते हुए नितेश ने किताबों की गठरी कभी भी अपने सिर से नहीं उतारी। इंजीनियरिंग की डिग्री कम लगी तो बौद्धिक-संपदा-अधिकार (IPR)में PG कर लिया। संयुक्त राष्ट्र सूचना केंद्र (UNIC) भारत एवं भूटान और श्रीरामचंद्र मिशन चेन्नई द्वारा निबंध-लेखन-कार्यक्रमों में दो बार प्रशस्ति प्राप्त कर चुके हैं। इंजीनियरिंग से जुड़े विषयों पर शोधपत्र भी लिखते हैं और फिलहाल अंग्रेजी साहित्य में MAकरते हुए उपन्यास लिखने में भी लगे हुए हैं। ऑफिस में डिज़ाइन इंजीनियर और उसके बाद शब्दों की प्रयोगशाला में अपनी किताबों के डिज़ाइनर, इस लेखक-कवि का मानना है कि साहित्य-यात्रा पर निकलने से पहले साइंस-मैथ्स का बैकग्राउंड ज़रूरी ही था। इसका कारण तो आपको इन्हें पढ़-सुनकर ही पता चलेगा।
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मध्यप्रदेश-राजस्थान के खेतों और चंबल के किनारों से लेकर दिल्ली-गुरुग्राम की सड़कों और दफ़्तर के कम्प्यूटर तक का सफ़र तय करते हुए नितेश ने किताबों की गठरी कभी भी अपने सिर से नहीं उतारी। इंजीनियरिंग की डिग्री कम लगी तो बौद्धिक-संपदा-अधिकार (IPR)में PG कर लिया। संयुक्त राष्ट्र सूचना केंद्र (UNIC) भारत एवं भूटान और श्रीरामचंद्र मिशन चेन्नई द्वारा निबंध-लेखन-कार्यक्रमों में दो बार प्रशस्ति प्राप्त कर चुके हैं। इंजीनियरिंग से जुड़े विषयों पर शोधपत्र भी लिखते हैं और फिलहाल अंग्रेजी साहित्य में MAकरते हुए उपन्यास लिखने में भी लगे हुए हैं। ऑफिस में डिज़ाइन इंजीनियर और उसके बाद शब्दों की प्रयोगशाला में अपनी किताबों के डिज़ाइनर, इस लेखक-कवि का मानना है कि साहित्य-यात्रा पर निकलने से पहले साइंस-मैथ्स का बैकग्राउंड ज़रूरी ही था। इसका कारण तो आपको इन्हें पढ़-सुनकर ही पता चलेगा।