मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा प्राप्त, नीरज मुसाफ़िर पेशे से दिल्ली मेट्रो में इंजीनियर हैं मगर यह केवल छद्म आवरण है; इनका असली परिचय यह है कि यह जीवट क़िस्म के घुमन्तू हैं। साइकिल से घूमने निकलते हैं तो हजारों किलोमीटर नाप डालते हैं; पैदल निकलते हैं तो हिमालय पर चढ़ बैठते हैं, बाइक से निकले तो पूरा भारत छान बैठे और कहीं रेल और बस यात्रा की बात हो तो कहने ही क्या… अपना देश पीछे छूट जाता है। यह अब तक केवल रेल से ही एक लाख सत्तर हज़ार किलोमीटर की यात्रा पूरी कर चुके हैं; पैदल तथा अन्य साधनों का हम केवल अनुमान लगा सकते हैं। लेखक, वर्ष 2008 से अपना यात्रा-ब्लॉग लिख रहे हैं, जिसमें उनके द्वारा की गई सभी यात्राओं का सचित्र और रोचक वर्णन मिलता है। 2012 में लखनऊ में आयोजित हुए अंतरराष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मेलन में ‘वर्ष के सर्वश्रेष्ठ यात्रा-ब्लॉगर’ सम्मान से सम्मानित किये गये। ‘दैनिक जागरण’ और ‘कादम्बिनी’ समेत विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में यात्रा-वृत्तांत लेखन।
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मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा प्राप्त, नीरज मुसाफ़िर पेशे से दिल्ली मेट्रो में इंजीनियर हैं मगर यह केवल छद्म आवरण है; इनका असली परिचय यह है कि यह जीवट क़िस्म के घुमन्तू हैं। साइकिल से घूमने निकलते हैं तो हजारों किलोमीटर नाप डालते हैं; पैदल निकलते हैं तो हिमालय पर चढ़ बैठते हैं, बाइक से निकले तो पूरा भारत छान बैठे और कहीं रेल और बस यात्रा की बात हो तो कहने ही क्या… अपना देश पीछे छूट जाता है। यह अब तक केवल रेल से ही एक लाख सत्तर हज़ार किलोमीटर की यात्रा पूरी कर चुके हैं; पैदल तथा अन्य साधनों का हम केवल अनुमान लगा सकते हैं। लेखक, वर्ष 2008 से अपना यात्रा-ब्लॉग लिख रहे हैं, जिसमें उनके द्वारा की गई सभी यात्राओं का सचित्र और रोचक वर्णन मिलता है। 2012 में लखनऊ में आयोजित हुए अंतरराष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मेलन में ‘वर्ष के सर्वश्रेष्ठ यात्रा-ब्लॉगर’ सम्मान से सम्मानित किये गये। ‘दैनिक जागरण’ और ‘कादम्बिनी’ समेत विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में यात्रा-वृत्तांत लेखन।