14 अगस्त 1950 को पठानकोट में जन्में नीरज गोस्वामी पेशे से इंजीनियर हैं। जयपुर से इंजीनियरिंग करने के बाद पिछले 44 सालों में विभिन्न संस्थाओं को अपनी सेवाएँ दे चुके हैं। पढ़ने, लिखने और नाटकों में अभिनय करने के शौकीन नीरज गोस्वामी इंटरनेट तथा ब्लॉग जगत् के सबसे लोकप्रिय शायरों में हैं। आपका अपना एक पाठक वर्ग है, जो आपकी ग़जलों का प्रशंसक है। आप अपने ब्लॉग पर नियमित रूप से ग़ज़लों की पुस्तकों की समीक्षा तथा यात्रा संस्मरण बड़ी रोचक शैली में लिखते हैं। आपको 2012 में “शिवना सम्मान” प्राप्त हो चुका है। कई मुशायरों में आपने काव्य पाठ किया है। इंटरनेट पर रेख़्ता, कविताकोश, अभिव्यक्ति सहित कई वैब मैग्ज़ीनों तथा कई साहित्यिक पत्रिकाओं में आपकी ग़ज़लें प्रकाशित हो चुकी हैं। “डाली मोगरे की” आपका प्रथम ग़ज़ल संग्रह है। जिसके अभी तक छह संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। “101 किताबें ग़ज़लों की” आपका पुस्तक समीक्षा संग्रह है जिसके अभी तक तीन संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। “51 किताबें ग़ज़लों की” दूसरा समीक्षा संग्रह है तथा “यायावरी यादों की” आपका संस्मरण संग्रह है।
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14 अगस्त 1950 को पठानकोट में जन्में नीरज गोस्वामी पेशे से इंजीनियर हैं। जयपुर से इंजीनियरिंग करने के बाद पिछले 44 सालों में विभिन्न संस्थाओं को अपनी सेवाएँ दे चुके हैं। पढ़ने, लिखने और नाटकों में अभिनय करने के शौकीन नीरज गोस्वामी इंटरनेट तथा ब्लॉग जगत् के सबसे लोकप्रिय शायरों में हैं। आपका अपना एक पाठक वर्ग है, जो आपकी ग़जलों का प्रशंसक है। आप अपने ब्लॉग पर नियमित रूप से ग़ज़लों की पुस्तकों की समीक्षा तथा यात्रा संस्मरण बड़ी रोचक शैली में लिखते हैं। आपको 2012 में “शिवना सम्मान” प्राप्त हो चुका है। कई मुशायरों में आपने काव्य पाठ किया है। इंटरनेट पर रेख़्ता, कविताकोश, अभिव्यक्ति सहित कई वैब मैग्ज़ीनों तथा कई साहित्यिक पत्रिकाओं में आपकी ग़ज़लें प्रकाशित हो चुकी हैं। “डाली मोगरे की” आपका प्रथम ग़ज़ल संग्रह है। जिसके अभी तक छह संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। “101 किताबें ग़ज़लों की” आपका पुस्तक समीक्षा संग्रह है जिसके अभी तक तीन संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। “51 किताबें ग़ज़लों की” दूसरा समीक्षा संग्रह है तथा “यायावरी यादों की” आपका संस्मरण संग्रह है।