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अविनाश झा की ‘बटेसर ओझा व अन्य कहानियाँ’ में जैसे आम ज़िन्दगी से जुड़ी कहानियाँ हैं, जो बहुत सहजता से और सरलता से लिखी गयी हैं; ठीक उसी तरह उनके कविता संग्रह ‘अनंत व्योम की ओर’ की कविताएँ जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाने का काम करती हैं। संग्रह में कवि ने एक ओर जहाँ प्रकृति और दर्शन के बिम्ब को सरलता से एक माला में पिरोया है, वहीं दूजी ओर आस-पास घटने वाली घटनाओं को मूल रूप से दर्शाया है। कई बार हम ची़जों को बढ़ा-चढ़ाकर कहते हैं, क्योंकि हमें ऐसा लगता है कि ऐसा करने से हमारी बात लोगों तक आसानी से पहुँच सकती है। लेकिन ऐसा होता नहीं है। घटनाओं को और उनके पीछे छिपे सत्य को जितनी सहजता से बयाँ किया जा सके वो लोगों तक उतनी ही आसानी से पहुँचती है; अविनाश इस कोशिश में पूरी तरह से सफल हुए हैं। कविता लिखना अपने आप में एक कठिन कार्य है। किसी रचना को शुरू करना और उसे उसके यथार्थ तक पहुँचा पाना किसी पहाड़ चढ़ने से कम मुश्किल काम नहीं। अविनाश झा की ‘अनंत व्योम की ओर’ एक ऐसा संग्रह है जो अपने यथार्थ तक पहुँचने में सफल हुआ है।.

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Avinash Jha

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अविनाश झा की ‘बटेसर ओझा व अन्य कहानियाँ’ में जैसे आम ज़िन्दगी से जुड़ी कहानियाँ हैं, जो बहुत सहजता से और सरलता से लिखी गयी हैं; ठीक उसी तरह उनके कविता संग्रह ‘अनंत व्योम की ओर’ की कविताएँ जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाने का काम करती हैं। संग्रह में कवि ने एक ओर जहाँ प्रकृति और दर्शन के बिम्ब को सरलता से एक माला में पिरोया है, वहीं दूजी ओर आस-पास घटने वाली घटनाओं को मूल रूप से दर्शाया है। कई बार हम ची़जों को बढ़ा-चढ़ाकर कहते हैं, क्योंकि हमें ऐसा लगता है कि ऐसा करने से हमारी बात लोगों तक आसानी से पहुँच सकती है। लेकिन ऐसा होता नहीं है। घटनाओं को और उनके पीछे छिपे सत्य को जितनी सहजता से बयाँ किया जा सके वो लोगों तक उतनी ही आसानी से पहुँचती है; अविनाश इस कोशिश में पूरी तरह से सफल हुए हैं। कविता लिखना अपने आप में एक कठिन कार्य है। किसी रचना को शुरू करना और उसे उसके यथार्थ तक पहुँचा पाना किसी पहाड़ चढ़ने से कम मुश्किल काम नहीं। अविनाश झा की ‘अनंत व्योम की ओर’ एक ऐसा संग्रह है जो अपने यथार्थ तक पहुँचने में सफल हुआ है।.

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