लेखक इलाहाबाद विश्वविद्यालय से विज्ञान स्नातक होने के उपरांत स्वाभाविक नियति कह लीजिए, या जीवन की आकस्मिकता, वर्तमान में रोजी रोटी के लिए एक समर्पित एवं पूर्णकालिक लोकसेवक है. पूर्व में प्रेम रूपी क्षेत्र के फ्लक्स के तहत संकुचित होते समय को केंद्र में रखकर एक उपन्यास “समय तरंग पर प्रेम” प्रकाशित होने के उपरांत, दुस्साहस कह लीजिए अथवा आत्मिक क्षुधा शान्ति का प्रयास, जो लेखन कर्म को अपने सार्वजानिक दायित्वों के निर्वहन के साथ साथ आगे बढ़ाने का प्रयास लेखक कर पा रहा है. लेखक का यह दूसरा उपन्यास है. वैसे तो लेखक एक जिज्ञासु पाठक भी है, पर अंतर्मन में उठ रहे विचार, जीवन के अनुभव, और प्रकृति प्रदत्त रचनात्मकता कहीं दफ़न न हो जाए इसलिए संघर्ष करता है, प्रयत्न करता है और कुछ भी अंट संट कह लीजिए, जो भी मन में आए लिख लेता है. लेखक एक साहित्यकार होने का दावा तो कत्तई नहीं करता, पर इस बात का भरोसा तो दिला ही सकता है कि उसकी रचनाओं में यथार्थ का एक बड़ा हिस्सा है.
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लेखक इलाहाबाद विश्वविद्यालय से विज्ञान स्नातक होने के उपरांत स्वाभाविक नियति कह लीजिए, या जीवन की आकस्मिकता, वर्तमान में रोजी रोटी के लिए एक समर्पित एवं पूर्णकालिक लोकसेवक है. पूर्व में प्रेम रूपी क्षेत्र के फ्लक्स के तहत संकुचित होते समय को केंद्र में रखकर एक उपन्यास “समय तरंग पर प्रेम” प्रकाशित होने के उपरांत, दुस्साहस कह लीजिए अथवा आत्मिक क्षुधा शान्ति का प्रयास, जो लेखन कर्म को अपने सार्वजानिक दायित्वों के निर्वहन के साथ साथ आगे बढ़ाने का प्रयास लेखक कर पा रहा है. लेखक का यह दूसरा उपन्यास है. वैसे तो लेखक एक जिज्ञासु पाठक भी है, पर अंतर्मन में उठ रहे विचार, जीवन के अनुभव, और प्रकृति प्रदत्त रचनात्मकता कहीं दफ़न न हो जाए इसलिए संघर्ष करता है, प्रयत्न करता है और कुछ भी अंट संट कह लीजिए, जो भी मन में आए लिख लेता है. लेखक एक साहित्यकार होने का दावा तो कत्तई नहीं करता, पर इस बात का भरोसा तो दिला ही सकता है कि उसकी रचनाओं में यथार्थ का एक बड़ा हिस्सा है.