मैं भी अपने को खुशनसीब मानता हूं कि हजारों लोगों की आशीर्वाद और दुआओं से दिनांक 9 .12.1977 को और दोबारा 25.02 2009 को मैंने इस धरती पर एक तरह से दुबारा जन्म लिया। यह मेरा घमंड नहीं है, मैं गर्व महसूस करता हूं कि ऊपर वाले ने मुझे इस काबिल बनाया कि मैं औरों के जीवन में खुशियां ला सकूं।
मेरे जीवन की है यह आत्मकथा आपके सम्मुख प्रस्तुत है।
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मैं भी अपने को खुशनसीब मानता हूं कि हजारों लोगों की आशीर्वाद और दुआओं से दिनांक 9 .12.1977 को और दोबारा 25.02 2009 को मैंने इस धरती पर एक तरह से दुबारा जन्म लिया। यह मेरा घमंड नहीं है, मैं गर्व महसूस करता हूं कि ऊपर वाले ने मुझे इस काबिल बनाया कि मैं औरों के जीवन में खुशियां ला सकूं।
मेरे जीवन की है यह आत्मकथा आपके सम्मुख प्रस्तुत है।