“अनूप बर्नवाल ‘देशबन्धु’
संवैधानिक विकास एवं राजनीतिक-आर्थिक-सामाजिक सुधार हेतु. कर्मनिष्ठ अनूप देशबन्धु का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा, २०३० (१५/०७/१९७३) को. ठेकमॉ, आजमगढ़ (उ.प्र.) में हुआ। आपके पिता का नाम मदन मोहन और माँ का नाम उर्मिला देवी है। आपकी शिक्षा-दीक्षा ठेकमॉ और जौनपुर में हुई. तथा विधि-स्नातक में स्वर्णपदक हासिल किया। आपने आजादी आंदोलन के. महानायक चितरंजन दास को समर्पित राष्ट्रपरक उपनाम ‘देशबन्धु’ धारण किया।
आप १९९८ से इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत कर रहे हैं। आपने. समान नागरिक संहिता, तीन तलाक, अनुच्छेद ३७०, चुनाव आयोग नियुक्ति
में सुधार, लोकायुक्त नियुक्ति में सुधार, राजनीतिक पार्टियों में सुधार, मानवाधिकार जैसे कई ज्वलंत विषयों पर कार्य किया है। आप ‘वायस आफ
लॉ एण्ड जस्टिस’ के संस्थापक, इण्डियन लॉ रिपोर्ट्स के संपादक-मण्डल सदस्य, राष्ट्रीय स्वराज परिषद् द्वारा संचालित अभियान ‘मिशन अनुच्छेद ४४: एक राष्ट्र, एक सिविल कानून’ के संयोजक हैं।
आपने समान नागरिक संहिता को पहली बार ‘भारतीय सिविल संहिता’ का नाम देते हुए पुस्तक ‘भारतीय सिविल संहिता के सिद्धान्त (२०१७)’ और ‘समान नागरिक संहिता: चुनौतियाँ और समाधान (२०१९)’ लिखा। समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने और सभी धर्म-आधारित कानून में व्याप्त अन्तर्विरोधों का समाधान करने के लिए आप द्वारा सुझाया गया ‘मूल्य-आधारित वैकल्पिक व्यवस्था’ और २१ सूत्रीय मार्गदर्शी सिद्धान्त अति-महत्त्वपूर्ण है। इस पुस्तक के अध्याय ‘राष्ट्रीयता’ में संविधानवादी राष्ट्रगान ‘भारत राष्ट्र हमारा’, राष्ट्रध्वज ‘चक्र पताका’ जैसे कई अभिनव विचार दिए हैं। आपने भौमिक समानता का लक्ष्य हासिल करने के लिए स्वामित्व के तीन स्वरूप ‘गाँधीत्व-भीमत्व-भावेत्व’ का प्रतिपादन भी किया है।
आपकी अन्य प्रमुख कृतियाँ हैं: निर्माण-पुरुष डॉ. अम्बेडकर
की संविधान यात्रा; तीन तलाक की मीमांसा; समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग की नकारात्मकता; एक देश-एक चुनाव: भारत में राजनीतिक सुधार की संभावनाएँ; संविधान सभा बहस और भारतीय संविधान की निर्माण यात्रा (प्रकाशनाधीन)।
सम्मान : आपको गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार और आचार्य परशुराम चतुर्वेदी. पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
सम्पर्क : baranwal.anoop@gmail.com”
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“अनूप बर्नवाल ‘देशबन्धु’
संवैधानिक विकास एवं राजनीतिक-आर्थिक-सामाजिक सुधार हेतु. कर्मनिष्ठ अनूप देशबन्धु का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा, २०३० (१५/०७/१९७३) को. ठेकमॉ, आजमगढ़ (उ.प्र.) में हुआ। आपके पिता का नाम मदन मोहन और माँ का नाम उर्मिला देवी है। आपकी शिक्षा-दीक्षा ठेकमॉ और जौनपुर में हुई. तथा विधि-स्नातक में स्वर्णपदक हासिल किया। आपने आजादी आंदोलन के. महानायक चितरंजन दास को समर्पित राष्ट्रपरक उपनाम ‘देशबन्धु’ धारण किया।
आप १९९८ से इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत कर रहे हैं। आपने. समान नागरिक संहिता, तीन तलाक, अनुच्छेद ३७०, चुनाव आयोग नियुक्ति
में सुधार, लोकायुक्त नियुक्ति में सुधार, राजनीतिक पार्टियों में सुधार, मानवाधिकार जैसे कई ज्वलंत विषयों पर कार्य किया है। आप ‘वायस आफ
लॉ एण्ड जस्टिस’ के संस्थापक, इण्डियन लॉ रिपोर्ट्स के संपादक-मण्डल सदस्य, राष्ट्रीय स्वराज परिषद् द्वारा संचालित अभियान ‘मिशन अनुच्छेद ४४: एक राष्ट्र, एक सिविल कानून’ के संयोजक हैं।
आपने समान नागरिक संहिता को पहली बार ‘भारतीय सिविल संहिता’ का नाम देते हुए पुस्तक ‘भारतीय सिविल संहिता के सिद्धान्त (२०१७)’ और ‘समान नागरिक संहिता: चुनौतियाँ और समाधान (२०१९)’ लिखा। समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने और सभी धर्म-आधारित कानून में व्याप्त अन्तर्विरोधों का समाधान करने के लिए आप द्वारा सुझाया गया ‘मूल्य-आधारित वैकल्पिक व्यवस्था’ और २१ सूत्रीय मार्गदर्शी सिद्धान्त अति-महत्त्वपूर्ण है। इस पुस्तक के अध्याय ‘राष्ट्रीयता’ में संविधानवादी राष्ट्रगान ‘भारत राष्ट्र हमारा’, राष्ट्रध्वज ‘चक्र पताका’ जैसे कई अभिनव विचार दिए हैं। आपने भौमिक समानता का लक्ष्य हासिल करने के लिए स्वामित्व के तीन स्वरूप ‘गाँधीत्व-भीमत्व-भावेत्व’ का प्रतिपादन भी किया है।
आपकी अन्य प्रमुख कृतियाँ हैं: निर्माण-पुरुष डॉ. अम्बेडकर
की संविधान यात्रा; तीन तलाक की मीमांसा; समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग की नकारात्मकता; एक देश-एक चुनाव: भारत में राजनीतिक सुधार की संभावनाएँ; संविधान सभा बहस और भारतीय संविधान की निर्माण यात्रा (प्रकाशनाधीन)।
सम्मान : आपको गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार और आचार्य परशुराम चतुर्वेदी. पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
सम्पर्क : baranwal.anoop@gmail.com”