आलोक पाण्डेय एक भारतीय फ़िल्म अभिनेता हैं। आलोक का जन्म उत्तर प्रदेश में शाहजहाँपुर के गाँव ददऊँ में 30 अप्रेल 1988 में हुआ । कॉलेज के दिनों में, आलोक, अपने दोस्तों (रवि चौहान और धर्मेंद्र सिंह सिसोदिया) के साथ एक बार एक थिएटर प्ले देखने गए, जिसको देखने के बाद वो इस विधा के इस क़दर दीवाने हो गए कि उन्हीं के साथ, उन्होंने 2007 में संस्कृति थियेटर ग्रुप जॉइन कर लिया जो उनका पहला नाटक ग्रुप है । जिसके निर्देशक हैं आलोक सक्सेना जी, इन्हीं के सानिध्य में आलोक ने अपने अभिनय जीवन की शुरुआत की । फिर 2009 में भारतेंदु नाट्य अकादमी, लखनऊ में दाख़िला लिया और अपने इस सफ़र को आगे बढ़ाया। उन्होंने लखनऊ BNA में कई नाटक किए। उसके बाद उनका चयन कोलकाता के सत्यजीत रे फ़िल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट में हुआ। एक साल बाद, दिसंबर 2012 में, आख़िरकार आलोक मुंबई आ गए। फिर शुरू हुई ज़िंदगी की असली दौड़, शुरूआत में सैकड़ों ऑडिशन में नॉट फ़िट होने के बाद उन्हें जल्द ही रवि खेमू के धारावाहिक – “हमारे गाँव कोई आएगा” में लीड रोल मिला, जिसको वह दूरदर्शन के लिए बना रहे थे, इस धारावाहिक में मुख्य भूमिका ‘ग़ुलाम नबी’ को आलोक ने निभाया । इसी बीच, आलोक को अनुराग कश्यप की लघु फ़िल्म That Day After Everyday में भी काम मिला। आलोक भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की बायोपिक ‘M.S Dhoni The Untold Story’ में एमएस धोनी के सबसे अच्छे दोस्त चित्तू की भूमिका निभाने के लिए जाने जाते हैं। इसके अलावा आलोक, ‘बाटला हाउस’ फ़िल्म में जॉन अब्राहम् के साथ निभाए गए अपने क़िरदार तुफैल को लेकर बहुत चर्चा में रहे इसके अलावा फ़रहान अख़्तर के साथ ‘लखनऊ सेंट्रल’ में भी एक प्रमुख किरदार ‘बंटी’ निभाया जिसकी सराहना, कोमल नाहटा जैसे दिग्गज फ़िल्म समीक्षक ने स्वयं की। हाल ही में आलोक ने एक शॉर्ट फ़िल्म ‘क. क.क.किरण’ में लीड रोल भी किया है जिसे आप एम एक्स प्लेयर पर देख सकते हैं । जिसे उभरते हुए युवा फ़िल्म मेकर ‘गौरव’ ने बनाया है। अभिनय के सफ़र में आलोक ने दुनिया से बहुत-से अलग-अलग तजुर्बात भी हासिल किये हैं जिन्हें वह कविता और संस्मरण की शक्ल में उतारना भी जानते हैं। यह पुस्तक उन्हीं कुछ अनुभवों और यादों से सजाया हुआ एक गुलदस्ता है । यह इनका पहला कविता संग्रह है जिसे आलोक ने अपने स्वर्गीय पिता को समर्पित किया है।.
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आलोक पाण्डेय एक भारतीय फ़िल्म अभिनेता हैं। आलोक का जन्म उत्तर प्रदेश में शाहजहाँपुर के गाँव ददऊँ में 30 अप्रेल 1988 में हुआ । कॉलेज के दिनों में, आलोक, अपने दोस्तों (रवि चौहान और धर्मेंद्र सिंह सिसोदिया) के साथ एक बार एक थिएटर प्ले देखने गए, जिसको देखने के बाद वो इस विधा के इस क़दर दीवाने हो गए कि उन्हीं के साथ, उन्होंने 2007 में संस्कृति थियेटर ग्रुप जॉइन कर लिया जो उनका पहला नाटक ग्रुप है । जिसके निर्देशक हैं आलोक सक्सेना जी, इन्हीं के सानिध्य में आलोक ने अपने अभिनय जीवन की शुरुआत की । फिर 2009 में भारतेंदु नाट्य अकादमी, लखनऊ में दाख़िला लिया और अपने इस सफ़र को आगे बढ़ाया। उन्होंने लखनऊ BNA में कई नाटक किए। उसके बाद उनका चयन कोलकाता के सत्यजीत रे फ़िल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट में हुआ। एक साल बाद, दिसंबर 2012 में, आख़िरकार आलोक मुंबई आ गए। फिर शुरू हुई ज़िंदगी की असली दौड़, शुरूआत में सैकड़ों ऑडिशन में नॉट फ़िट होने के बाद उन्हें जल्द ही रवि खेमू के धारावाहिक – “हमारे गाँव कोई आएगा” में लीड रोल मिला, जिसको वह दूरदर्शन के लिए बना रहे थे, इस धारावाहिक में मुख्य भूमिका ‘ग़ुलाम नबी’ को आलोक ने निभाया । इसी बीच, आलोक को अनुराग कश्यप की लघु फ़िल्म That Day After Everyday में भी काम मिला। आलोक भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की बायोपिक ‘M.S Dhoni The Untold Story’ में एमएस धोनी के सबसे अच्छे दोस्त चित्तू की भूमिका निभाने के लिए जाने जाते हैं। इसके अलावा आलोक, ‘बाटला हाउस’ फ़िल्म में जॉन अब्राहम् के साथ निभाए गए अपने क़िरदार तुफैल को लेकर बहुत चर्चा में रहे इसके अलावा फ़रहान अख़्तर के साथ ‘लखनऊ सेंट्रल’ में भी एक प्रमुख किरदार ‘बंटी’ निभाया जिसकी सराहना, कोमल नाहटा जैसे दिग्गज फ़िल्म समीक्षक ने स्वयं की। हाल ही में आलोक ने एक शॉर्ट फ़िल्म ‘क. क.क.किरण’ में लीड रोल भी किया है जिसे आप एम एक्स प्लेयर पर देख सकते हैं । जिसे उभरते हुए युवा फ़िल्म मेकर ‘गौरव’ ने बनाया है। अभिनय के सफ़र में आलोक ने दुनिया से बहुत-से अलग-अलग तजुर्बात भी हासिल किये हैं जिन्हें वह कविता और संस्मरण की शक्ल में उतारना भी जानते हैं। यह पुस्तक उन्हीं कुछ अनुभवों और यादों से सजाया हुआ एक गुलदस्ता है । यह इनका पहला कविता संग्रह है जिसे आलोक ने अपने स्वर्गीय पिता को समर्पित किया है।.