27 मई 1966 को बीना मध्य प्रदेश में जन्मे अखिलेश तिवारी लगभग तीन दशकों से ग़ज़ल
की दुनिया में सक्रिय हैं। कई संस्थाओं से समय समय पर सम्मानित, रेडियो, दूरदर्शन,
मुशायरों कवि सम्मेलनों, विभिन्न साहित्यिक पत्र पत्रिकाओं एवं सोशल मीडिया के विभिन्न
माध्यमों से पढ़ी सुनी और देखी जाने वाली उनकी शख़्सियत जानी पहचानी है।
ग़ज़ल के शिल्प का ध्यान रखते हुए ज़िन्दगी की विविध रंगी गुलकारियाँ इनकी रचनाओं में
देखी और महसूस की जा सकती हैं। "और कितने आसमां " के नाम से इनका ग़ज़लों का
यह संग्रह आज के साथ ही ज़िन्दगी के आत्यंतिक मूल्यों को भी समेटे हुए है।
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27 मई 1966 को बीना मध्य प्रदेश में जन्मे अखिलेश तिवारी लगभग तीन दशकों से ग़ज़ल
की दुनिया में सक्रिय हैं। कई संस्थाओं से समय समय पर सम्मानित, रेडियो, दूरदर्शन,
मुशायरों कवि सम्मेलनों, विभिन्न साहित्यिक पत्र पत्रिकाओं एवं सोशल मीडिया के विभिन्न
माध्यमों से पढ़ी सुनी और देखी जाने वाली उनकी शख़्सियत जानी पहचानी है।
ग़ज़ल के शिल्प का ध्यान रखते हुए ज़िन्दगी की विविध रंगी गुलकारियाँ इनकी रचनाओं में
देखी और महसूस की जा सकती हैं। "और कितने आसमां " के नाम से इनका ग़ज़लों का
यह संग्रह आज के साथ ही ज़िन्दगी के आत्यंतिक मूल्यों को भी समेटे हुए है।