yaksha ka sandesh

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Description

विरही यक्ष की आंतरिक वेदना और दुर्दमनीय पीड़ा को इस काव्य में जो शब्द मिले हैं, उससे कवि के भाव-सम्प्रेषण की अद्भुत क्षमता प्रकट होती है और यह निष्कर्ष उभरकर सामने आता है कि निश्चय ही प्रश्नगत काव्य ‘मेघदूत’ का कोरा शब्दानुवाद न होकर वस्तुतः भावानुवाद है। डॉ० श्रीवास्तव के अनुसार भी ‘मेघदूत’ का गद्यानुवाद उनकी रचना का आधार रहा है, किन्तु इसके साथ ही काव्य का ताना-बाना बुनने में उन्हें अपनी कल्पना शक्ति का सहारा लेना पड़ा है। मेघ को निर्देश देते हुए यक्ष जो अवधान निर्धारित करता है, उसमें उसकी प्रच्छन्न वेदना अंतर्निहित दिखाई देती है।………. कवि परिचय – कविता विरासत में मिली। माता-पिता दोनों कवि-हृदय थे। उच्च प्राथमिक स्तर की शिक्षा-काल में ही स्फुट कविता फूटने लगी। पिता के सेवानिवृत होने के कारण स्नातक स्तर पर विज्ञान की पढ़ाई छोड़ी और उन्नीस वर्ष की आयु से ही सरकारी सेवा करनी प्रारम्भ की। साथ ही साथ अध्ययन जारी रख अंतत: सत्तावनी क्रांति के महानायक और शंकरपुरगढ़, रायबरेली के ताल्लुकेदार राना बेनीमाधव पर रचे गए प्रभूत साहित्य पर ‘हिन्दी साहित्य में राना बेनीमाधव बख्श सिंह की परिकल्पना’ शीर्षक से शोध किया। राजकीय सेवा में विभिन्न पदों और विभागों में कार्य किया। राजकीय कार्य साहित्य से बिल्कुल विपरीत वित्त एवं लेखा पर आधारित था। फिर भी सम्पूर्ण राजकीय सेवा-काल में अनेक साहित्यिक निबंध, लेख, कहानियाँ, ऐतिहासिक कथाएँ, छंदबद्ध कविताएँ, छंद-मुक्त कविताएँ, अतुकांत कविताएँ और गीत लिखे जो विभिन्न समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं तथा पुस्तकों में प्रकाशित हुये। आकाशवाणी लखनऊ से अनेक वार्ताओं का प्रसारण भी हुआ। लगभग दो वर्ष पूर्व सेवा से निवृत होकर सम्प्रति स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं।

Book Details

Weight 115 g
Dimensions 8.5 × 5.5 × 0.368 in
Edition

First

Language

Hindi

Binding

hardcover

Pages

92

ISBN

9789386027818

Publication Date

2018

Author

dr. gopal narayan sriwastava

Publisher

Anjuman Prakashan