Description
यह किताब सेरेब्रल पाल्सी नामक व्याधि से पीड़ित खिलाड़ी के जीवन पर आधारित है। जिसने 18 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय पैरा ओलंपिक तैराकी स्पर्धा में पदक जीता है। 10 साल की उम्र में जब वो तैराकी सीख रही थी उसके प्रोफेसर पिता का देहांत हो गया। पिता की मौत के बाद मां ने सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित अपनी बेटी को संभाला। यह उपन्यास एक मां की ममता के विश्वास की कहानी है। एक दिवंगत पिता की रूहानी शक्ति और अपने वंश को दिए आशीर्वाद की कहानी है। जीवन की टूट चुकी उम्मीदों से उभरकर सफलता के शिखर तक पहुंचने के संघर्ष की कहानी है। पति की मौत के बाद किस तरह 35 वर्षीय महिला ने अपनी अपाहिज बेटी को पढ़ाया, लिखाया और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बनाया। ये उपन्यास एक महिला की बेटी को सफल बनाने की जिद्द और समाज की रूढ़ीवादी सोच से आगे बढ़कर जीत की कहानी है।