Description
पत्रकारिता एक पेशा ही नहीं बल्कि मिशन रहा है और यकीनन आगे भी रहेगा। शहादत में यहाँ कफन के तौर पर तिरंगा भले न नसीब हो मगर देश समाज के हित में इसकी स्वतंत्रता नितांत जरूरी है। कलम का जीवन्त स्वभाव है बड़े ही अदब से झुक कर चलती है तो नया इतिहास तक रच डालती है, अकड़ना तो खैर मुर्दों का स्वभाव होता है। कलम के तेवर और तंज को युग निर्माता के भावों संग परखिये तो सही, आपको पत्रकारिता के गीत कौमी-तराने सरीखे ही नजर आएँगे। विश्व साहित्य इतिहास में यह पत्रकारिता का पहला काव्य ग्रन्थ है, सदियों का फासला हो चुका है मगर इस खाई को किसी न किसी को तो भरना ही था। पत्रकारिता में परास्नातक के साथ वर्ष 2006 से रेडियो, वेबन्यूज, इलेक्ट्रानिक व प्रिंट मीडिया में एक दशक से अधिक समय से सक्रिय। विभिन्न राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं, शोध-पत्रों में लेख प्रकाशित तथा विभिन्न मीडिया संस्थानों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य। विविध सामाजिक सरोकारों में सक्रियता के साथ सोशल मीडिया व ब्लॉगिंग की दुनिया में सार्थक दखल। ‘आवाम का सिनेमा’ अभियान के तहत सरोकारी सिनेमा के लिये दशक भर का स़फर और ‘साइलेंट चंबल’ व ‘भरत की तपोभूमि’ जैसी चर्चित वृत्तचित्र फिल्मों का निर्माण। वर्ष 2017 में ‘इंडियन फ्रेम में ई-दुनिया’ जैसी भारतीय संदर्भों में इंटरनेट की दुनिया जैसे विषय पर चर्चित पुस्तक का लेखन और संपादन। वर्ष 2012 से राष्ट्रीय समाचार पत्र दैनिक जागरण, वाराणसी के संपादकीय विभाग में कार्यरत।