Description
मिली तमाम वो शै जिनकी आरजू ही नहीं
मेरे नसीब में सब कुछ है सिर्फ तू ही नहीं
तेरी याद से दिल भरा तो रहेगा
मगर ज़ीस्त में इक ख़ला तो रहेगा
अधूरी रही क्यूँ मुहब्बत हमारी
हमें ख़ुद से ही ये गिला तो रहेगा
ये तबस्सुम लबो का झूठा है
सच तो ये है कि दिल तो टूटा है
जहाँ चैन था मेरी आवारगी को
ये दिल याद करता है फिर उस गली को
न दिल आने देता है दिल में किसी को
करे कौन पूरी तुम्हारी कमी को
तुझको भुलाना वैसे तो मुश्किल नहीं लगा
लेकिन तेरे बग़ैर कहीं दिल नही लगा
ख़ाली रहा ये दिल का मकाँ बाद में तेरे
कोई भी इसमें रहने के क़ाबिल नहीं लगा
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