Description
एक काव्यकृति का प्रकटन तपस्या का फल होता है। प्रस्त ग़ज़ल सं ग्रह तु
माँ शारदे देवी मैहर के आशीर्वाद से सं भव हो सका है। इस ग़ज़ल सं ग्रह के पीछे
जिन भी प्रेरको का हाथ है उन सभी को धन्यवाद के साथ मैं आदरणीय बाऊजी
समर कबीर एवं सम-आदरणीय अग्रज सौरभ पाण्डेय जी को सादर प्रणाम
सहित उनके प्रति आभार प्रकट करता हूँ। इसके साथ ही मैं अपने परिजनो को
भी आभार देता हूँ, जिनका मेरे साथ होना मेरा सं बल है।
कोई भी रचना अपने पाठको के बिना बे-मोल होती है, यह पाठक ही हैं
जो किसी भी काव्य-कृति को अनमोल बना देते हैं। मैं इस ग़ज़ल सं ग्रह “चूम
आए हम गुलाब” का प्रत्येक शब्द आप पाठक-गण को सादर-सप्रेम भेंट कर
रहा हूँ, इस आशा के साथ कि ‘यह रचना आपके मानस-पटल पर अपना स्थान
बनाएगी’।
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