Description
इस पुस्तक में ऐसे अनेक गीत हैं जो आने वाले समय में हिन्दी साहित्य की निधि तो बनेंगे ही साथ ही साथ अन्य गीत लेखकों को भी लेखन के लिए प्रेरित करेंगे। बंसल जी के पास जीवन अनुभव का एक व्यापक संसार है यह अनुभव ही उनकी लेखनी की ताकत है। माँ सरस्वती ने उन्हें कविता लेखन का जो वरदान प्रदान किया है उसके आलोक में बंसल जी की सृजनशीलता निरंतर उच्च सोपानों की तरफ बढ़ रही है। उनका मानना है कि यदि मर्यादाएं खंडित होने लगें तो कलमकार को अपनी कलम को हथियार बनाना पड़ता है। बंसल जी समाज के प्रति एक संवेदनशील दृष्टिकोण रखते हैं, आसपास से गुजरने वाली हर घटना उनके संवेदनशील हृदय को द्रवित करती है। उन्होंने समाज में महिलाओं के उत्पीड़न और बेटियों के साथ होने वाले भेद-भाव को भी अपनी कविताओं की विषय वस्तु बनाया है। उन्हें लगता है कि हमारे देश में बेटियाँ केवल कहने मात्र के लिए ही देवियाँ और परियाँ हैं जबकि वस्तु-स्थिति कुछ और है।