Description
वरिष्ठ गीतकार प्रमोद कुमार सुमन गीत-ग़ज़ल और नवगीत संग्रहों की बेहतर प्रस्तुति के बाद अब जापानी ‘हाइकु’ कविता संग्रह ‘अदृश्य पंजों की छाप’ के साथ मैदान में उतरे हैं। भारत में हिन्दी या अन्य भाषा के रचनाकारों ने दूसरी कई काव्य विधाओं में किये गये प्रयोगों के अनुरूप इसे भी आज के आदमी की जरूरतों के मुताबिक आधुनिक बनाया। प्रमोद कुमार सुमन के ‘हाइकु’ कुछ इसी अंदाज में भारतीय क्लाइमेट और स्थिति-परिस्थिति के अनुरूप चुने गये विषयों को उठाते हैं। आज ‘हाइकु’ लेखन तेजी से हो रहा है। तब प्रमोद कुमार सुमन की चार सौ रचनाओं वाली यह कृति ‘‘अदृश्य पंजों की छाप’’ एक बड़े और सामयिक आंदोलन का हिस्सा बने ऐसी मेरी कामना है। साथ ही पाठक इसे पसन्द करेंगे ऐसा मेरा मानना है।.